कुश्ती / बेटियों को रेसलर बनाने के लिए रिटायर जवान ने घर में खोली एकेडमी, ट्रेनिंग ले रही लड़कियों को फीस नहीं देनी पड़ती

औरंगाबाद (एकनाथ पाठक). महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के हनुमंत फंड का सपना था कि बेटियां पहलवान बने। उन्हें भी कुश्ती में दिलचस्पी थी। लेकिन किन्हीं वजहों से खेल नहीं सके। सीआईएसएफ से रिटायर होने के बाद घर में ही एकेडमी खोल ली, ताकि अपनी बेटियों के अलावा अन्य लड़कियों को भी मदद मिल सके। सिर्फ 9 महीने पहले खुली इस एकेडमी में 35 लड़कियां ट्रेनिंग ले रही हैं।


यहां सिर्फ महाराष्ट्र नहीं बल्कि अन्य राज्यों की लड़कियां भी हैं। इस बोर्डिंग एकेडमी में लड़कियों को ट्रेनिंग फीस नहीं देनी पड़ती, सिर्फ रहने और खाने का मामूली खर्च देना होता है। एकेडमी में जो कोच हैं, वे भी सेलरी नहीं लेते। सिर्फ मानदेय लेते हैं। एकेडमी की धनश्री अंडर-15 एशियन चैंपियनशिप में 50 किग्रा वेट कैटेगरी में हिस्सा लेंगी। वे 22 से 24 नवंबर तक ताइवान में आयोजित इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम में चुनी गई हैं। इस एकेडमी की 10 लड़कियां नेशनल भी खेल चुकी हैं।


एनआईएस पटियाला के कोच मोरे ट्रेनिंग दे रहे हैं
एकेडमी में 25 साल के किरण मोरे खिलाड़ियों को रेसलिंग की ट्रेनिंग देते हैं। कोल्हापुर के मोरे ने एनआईएस पटियाला से कोचिंग ली है। जब से एकेडमी खुली है, तब से वे इससे जुड़े हुए हैं। मोरे कहते हैं, 'हनुमंत रेसलिंग के लिए बहुत लगन से काम कर रहे हैं। इस एकेडमी से अगले दो साल में इंटरनेशनल रेसलर निकलने लगेंगे।' मोरे को महाराष्ट्र का क्रीड़ा रत्न अवॉर्ड मिल चुका है।